आज भी कुछ शेष..............

ह्रदय के दर्पन के बिख्ररे टुकडो को,
समेटने मे बीत जाते है युग कई
फिर भी, कही रह जाता है
कोई एक छोट सा टुकडा,
जो उम्र के अन्तिम छोर तक
चुभता रहता है............
आखो के अश्रुधारो को सुखने मे
लग जाते है साल कई
फिर भी कही एक मोती आसू का
छिपा होता है पलक की
कोठरी के भीतर
जो टीस पैदा करता रहता है
और आभास कराता रहता है की,
आज भी कुछ शेष..............

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I am Shalini, PhD Student at Department of Chemistry of DDU Gorakhpur University. I am working on Nanomaterials used as catalyst on the thermal decomposition of Ammonium Perchlorate (AP, NH4ClO4) and on burning rate of composite solid rocket propellants in Prof. Gurdip Singh's Research Group.

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