रे सखी ! तुम्हे आना होगा ......................
http://hindikaavaya.blogspot.com/2008/10/blog-post_26.html
Image via Wikipediaतुम्हे हृदय से मैंने चाहा,
सारा संचित प्रेम उगाहा,
क्लान्त हृदय जब भी अकुलाये
इस सूखे आँगन में तुमको
प्रेम कलश छलकाना होगा
रे सखी! तुम्हे तब आना होगा...............
बृद्ध शरीर जब जिर्णशिक्त हो'
अंतर का विश्वास रिक्त हो,
परिजन भी जब मुँह फेर लें,
तब मोहक मुस्कान से अपनी,
मन मेरा बहलाना होगा
रे सखी! तुम्हे तब आना होगा........................
सारा संचित प्रेम उगाहा,
क्लान्त हृदय जब भी अकुलाये
इस सूखे आँगन में तुमको
प्रेम कलश छलकाना होगा
रे सखी! तुम्हे तब आना होगा...............
बृद्ध शरीर जब जिर्णशिक्त हो'
अंतर का विश्वास रिक्त हो,
परिजन भी जब मुँह फेर लें,
तब मोहक मुस्कान से अपनी,
मन मेरा बहलाना होगा
रे सखी! तुम्हे तब आना होगा........................
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मृत्युंजय तिवारी
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान
पोवई, मुम्बई।
बहुत बढ़िया मृत्युंजय जी की रचना!!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
अच्छा िलखा है आपने । दीपावली की शुभकामनाएं । दीपावली का पवॆ आपके जीवन में सुख समृिद्ध लाए । दीपक के प्रकाश की भांित जीवन में खुिशयों का आलोक फैले, यही मंगलकामना है । दीपावली पर मैने एक किवता िलखी है । समय हो तो उसे पढें और प्रितिक्रया भी दें-
ReplyDeletehttp://www.ashokvichar.blogspot.com
आप सब का बहुत धन्य्वाद...आपके कथन मै मृत्युंजय जी को दे दुगी....
ReplyDeleteआप सब को दिपावली की शुभकामनाये...