बस यूँही पलके बिछाये....
http://hindikaavaya.blogspot.com/2008/10/blog-post_3990.html
है साथ फ़िर भी, साथ नही है तेरा
संग है सफर में, पर हमसफ़र नही तू है मेरा
जाना है अब तो यूँही सफ़र में,
चलना है यूँही अकेले,
होंगे सफ़र में यू तो कई, .
...पर होंगे... हम तनहा अकेले
देखा करेंगे अब उस डगर को,
मिले थे जहा तुम हमको पहले,
आओगे एक दिन बस इतना यकी है
फ़िर ज़िन्दगी मे हमारे,
खुशियो की राहो मे बैठे रहेगे
....बस यूँही पलके बिछाये ॥
संग है सफर में, पर हमसफ़र नही तू है मेरा
जाना है अब तो यूँही सफ़र में,
चलना है यूँही अकेले,
होंगे सफ़र में यू तो कई, .
...पर होंगे... हम तनहा अकेले
देखा करेंगे अब उस डगर को,
मिले थे जहा तुम हमको पहले,
आओगे एक दिन बस इतना यकी है
फ़िर ज़िन्दगी मे हमारे,
खुशियो की राहो मे बैठे रहेगे
....बस यूँही पलके बिछाये ॥
जिन्दगी का सफर ही कुछ ऐसा है... बेहतर। अगर सीधे हिन्दी में लिखें तो ठीक रहेगा। वर्तनी सम्बन्धी गलती नहीं होगी और पाठकों को पढ़ने में तकलीफ नहीं होगी। इससे रसास्वादन में खलल पड़ता है। उस हेतु कम्प्यूटर पर आवश्य इन्तजाम जरूरी है।
ReplyDeleteधन्यवाद.... आपके सुझावो को ध्यान मे रखूगी....
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