याद आता है वो शहर ...........
http://hindikaavaya.blogspot.com/2008/10/blog-post_04.html
आता है वो गोरखपुर.......
वो गोलघर का समां इंदिरा बालविहार की चाट.......
वो अग्ग्रवाल की आइसक्रीम उसमें थी कुछ बात.......
वो गणेश की मिठाई वो चौधरी का डोसा.....
वो जलेबी के साथ जाएके का समोसा......
वो bike का सफर वो तारा मंडल की हवा....
वो व पार्क की रौनक वो उर्दू बाज़ार का समां......
वो न जाना क्लास मैं कभी और रहना पढाई से दूर ........
वो जनवरी की कड़ाके की सर्दी ,वो बरिशोऔ के महीने .......
याद आता है वो गोरखपुर //
ये कविता मेरे एक दोस्त में मुझे भेजी ....वो अपने शहर को याद करता है ....
इसी बहाने आप हमरे शहर को भी जानो .....
वो गोलघर का समां इंदिरा बालविहार की चाट.......
वो अग्ग्रवाल की आइसक्रीम उसमें थी कुछ बात.......
वो गणेश की मिठाई वो चौधरी का डोसा.....
वो जलेबी के साथ जाएके का समोसा......
वो bike का सफर वो तारा मंडल की हवा....
वो व पार्क की रौनक वो उर्दू बाज़ार का समां......
वो न जाना क्लास मैं कभी और रहना पढाई से दूर ........
वो जनवरी की कड़ाके की सर्दी ,वो बरिशोऔ के महीने .......
याद आता है वो गोरखपुर //
ये कविता मेरे एक दोस्त में मुझे भेजी ....वो अपने शहर को याद करता है ....
इसी बहाने आप हमरे शहर को भी जानो .....
मुझे तो स्वादिष्ट पान तथा अपने चौराहे की लखैरई याद आती है। कहें कि बेतरह परेशान करती है...
ReplyDeleteधन्यावाद....
ReplyDelete